अयोध्या राम मंदिर का निर्माण किन पत्थरो से हुआ है और क्यो ! पुरा पढे :--

लेखक:- किरण

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  राम मंदिर की मूर्तियाँ :-

अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू है और अब बारी आई है यह कि मूर्तियां बनाने स्थापित होने वाली प्रभु श्री राम और मैन सीता की मूर्तियां को बनाने के लिए नेपाल के शालिग्राम पत्थर को चुना गया है.


अयोध्या
में भेजने से पहले इन शालिग्राम सनिलाओं की नेपाल के जनकपुरी में भव्य पूजा अर्चना की गई और उसके बाद उन्हें अयोध्या के सफर पर रवाना कर दिया गया उन पत्थरों को भारत में लाने के लिए नेपाल सरकार की परमिशन भी ली गई है। 

                     जब तक आप यह ब्लोग पढ़ रहे होंगे तब तक अयोध्या अपना सफर शुरू कर चुके होंगे या फिर इन पत्थरों से अयोध्या की मूर्तियां भी बनाई जा चुकी होंगी।


पत्थरो का चुनाव नेपाल से ही क्यो :-



           लेकिन दुनिया के सारे पत्थर छोड़ सिर्फ नेपाल में मौजूद इस शालिग्राम पत्थर को ही क्यों चुना गया और क्यों सिर्फ अयोध्या का राम मंदिर नहीं बल्कि भारत के कई सारे प्राचीन मंदिरों में हजारों साल पहले मूर्तियां बनाने के लिए इस शालिग्राम पत्थर का इस्तेमाल किया गया था इन सारे सवालों के जवाब आपको आज के इस पोस्ट में मिलने वाले हैं ।


शालीमार पत्थरों का वजन :-

कृपया पोस्ट को आखिर तक जरूर देखिए प्रभु श्री राम और मैन सीता की मूर्ति बनाने के लिए पत्थर का चुनाव करने की मुहिम आसान नहीं थी इसमे करीब 1 महीना लग गया और इस 1 महीने में भारत के और आसपास के देशों के कई पत्थरों का चुनाव किया गया और तब जाकर सिर्फ नेपाल में मौजूद 6 करोड़ साल पुराने शालिग्राम पत्थरों को इस पवित्र काम  के लिए चुना गया और इसी नदी से विशाल पत्थरों का चुनाव काफी ध्यान से किया गया इनमें से एक शिला का वजन 26 टन  तो दूसरे का 14 टन है




पत्थरों मे सुदर्शन चक्र के निशान :-

 वैसे तो शालिग्राम पत्थर कई जगह में मिल जाता है लेकिन नेपाल के इस नदी में मिलने वाला शालिग्राम पत्थर बहुत खास है क्योंकि इस पर सुदर्शन चक्र और गधा जैसे चिन्ह दिखाई देते हैं भले इन सिंबल्स के पीछे का रीजन कुछ और हो लेकिन इन सिंबल्स का हिंदू धर्म में खास महत्व है और इसीलिए भी इन पत्थरों को काफी पवित्र माना जाता है।





इस शालिग्राम पत्थर पर आप जो सुदर्शन चक्र जैसे सिंबल देख रहे हो वो एक्चुअली में अमोनिट नाम के एक समुद्री जीव के जीवाश्म की वजह से है अमोनिट आता है अमोनोइड्स इस क्लास में जिसमें करीब 10000 प्रजातियां मौजूद थी यह जो समुद्र में पृथ्वी पर जुरासिक और criticious पीरियड में रहा करता था मतलब आज से करीब 140 मिलियन साल पहले criticious पीरियड के आखिर में यह जो पृथ्वी से विलुप्त होने लगा लगभग उसी समय जिस समय डायनासोर विलुप्त हो रहे थे



 जैसे जब कोई भी मरता है तो उसका शरीर दी कंपोज होना शुरू होता है धीरे-धीरे उसके शरीर का नरम हिस्सा गल जाता है और सिर्फ हड्डियां बचती है जब इस हड्डी के ढांचे पर मिट्टी धूल और बाकी का मैटर जमने लगता है तो हजारों साल की प्रक्रिया में यह हड्डियों का धन जीवाश्म में बदल जाता है कुछ ऐसे ही फॉसिल इस पत्थरों पर भी दिखाई देते हैं


इस शालिग्राम शिला की खासियत यह 6 करोड़ साल पुराना तो है ही लेकिन ये अगले 1 करोड़ साल तक उतना ही मजबूत रहेगा जितना ये आज है मतलब इस पत्थर से निर्मित प्रतिमाएं लाखों वर्षों तक सुरक्षित रहेगी और ये पत्थर काफी हाल तक पड़े होने की वजह से इन पर बारीकी से कार्विंग करना आसान होता है



इसलिए भारत के कई पुराने मंदिरों में भी इन पत्थरों का इस्तेमाल मूर्तियां बनाने के लिए किया गया था शास्त्रों के मुताबिक शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है हिंदू धर्म में हर एक चीज में ईश्वर खुश है और इसी धर्म में कई प्राणियों को जीवन को भगवान का दर्ज दिया गया है और इसीलिए खासकर इस पत्थर का चुनाव राम मंदिर की मूर्तियां बनाने के लिए किया जाएगा


राम मंदिर की मूर्तियां बनाने के लिए नेपाल के इस पत्थर को सिलेक्ट करने की वजह से भारत और नेपाल के बीच मौजूद संबंधों का एक नया अध्यक्ष शुरू होगा साथ ही इन पत्थरों का इस्तेमाल होने की वजह से राम मंदिर की मूर्तियां अगले लाखों सालों तक हमारा इतिहास आगे बढ़ती रहेगी 


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